मुंबई के लिए बाढ़ चेतावनी प्रणाली “IFLOWS-Mumbai”
IFLOWS- Mumbai को मुंबई शहर के लिए अत्याधुनिक एकीकृत बाढ़ चेतावनी प्रणाली के रूप में विकसित किया गया है
शहर की प्रतिरोधक्षमता में सुधार के लिए विशेष रूप से अत्याधिक वर्षा की घटनाओं और चक्रवातों के दौरान मुम्बई के लिए प्रारंभिक चेतावनी का प्रावधान किया गया है
जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान और मानसून में बदलाव द्वारा भारत में अत्यधिक वर्षा की घटनाएं बढ़ रही हैं। महाराष्ट्र राज्य की राजधानी, और भारत की वित्तीय राजधानी, मुंबई महानगर लम्बी अवधि वाली बढ़ों की त्रास्दी झेलता रहा है तथा 29 अगस्त 2017 को ताज़ा बाढ़ से जूझना पड़ा, जिसकी वजह से अपनी जल निकासी प्रणालियों के बावजूद शहर ठहर गया। 26 जुलाई 2005 को आई बाढ़ की स्मृतियां शायद मुंबई के प्रत्येक नागरिक के मानस पटल पर ताज़ा होंगी, जब शहर में 24 घंटे में 100 साल के काल खण्ड में सबसे अधिक 94 सेमी बारिश हुई, जिसके चलते शहर पूरी तरह से पंगु बनकर रह गया। बाढ़ के लिए तैयारी के रूप में, लोगों को चेताया जाना चाहिए ताकि वे बाढ़ आने से पहले हालात से निबटने के लिए तैयार हो सकें।
बाढ़ की आशंका वाले शहर में निवारक उपायों की सहयतार्थ, ग्रेटर मुंबई नगर निगम, महाराष्ट्र सरकार ने मुम्बई के लिए एकीकृत बाढ़ चेतावनी प्रणाली, जिसे IFLOWS-Mumbai कहा गया, विकसित करने हेतु पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय से अनुरोध किया। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने ग्रेटर मुंबई नगर निगम के निकट तालमेल से मंत्रालय के भीतर उपलब्ध विभागीय दक्षता के बल पर जुलाई 2019 में IFLOWS-Mumbai का विकास प्रारंभ किया। IFLOWS- Mumbai को मुंबई शहर के लिए अत्याधुनिक एकीकृत बाढ़ चेतावनी प्रणाली के रूप में विकसित किया गया है, जिसमें शहर की प्रतिरोधक्षमता में सुधार के लिए विशेष रूप से अत्याधिक वर्षा की घटनाओं और चक्रवातों के दौरान मुम्बई के लिए प्रारंभिक चेतावनी का प्रावधान किया गया है।
I-FLOWS एक मॉड्यूलर संरचना पर बनाया गया है और इसमें डेटा एसिमिलेशन, फ्लड, इनड्यूशन, वल्नेरेबिलिटी, रिस्क, डिसिमिनेशन मॉड्यूल और डिसीजन सपोर्ट सिस्टम जैसे सात मॉड्यूल हैं। सिस्टम में NCMRWF, IMD से मौसम मॉडल, IITM, MCGM और IMD द्वारा स्थापित वर्षा गेज नेटवर्क स्टेशनों से क्षेत्र डाटा, भूमि उपयोग पर थीमेटिक लेयर्, MCGM द्वारा बुनियादी ढांचे आदि प्रदान किए गए हैं। मौसम मॉडल के इनपुट के आधार पर, बरसात को बहते पानी में बदलने और नदी प्रणालियों में प्रवाह इनपुट प्रदान के लिए हाइड्रोलॉजिकल मॉडल का उपयोग किया जाता है। चूंकि, मुंबई एक द्वीप शहर है, जिसकी कनेक्टिविटी समुद्र के साथ है, इसलिए शहर पर ज्वार और तूफान के प्रभाव की गणना करने के लिए हाइड्रोडायनामिक मॉडल और तूफान वृद्धि मॉडल का उपयोग किया जाता है। इस प्रणाली में शहर के भीतर शहरी जल निकासी ज्ञात करने और बाढ़ वाले क्षेत्रों के पूर्वानुमान के प्रावधान हैं, जिनको फाइनल सिस्टम में शामिल किया जाएगा। NCCR द्वारा एमसीजीएम और आईएमडी, मुंबई के सहयोग से मिथी, दहिसर, ओशिवारा, पोइसर, उल्हास, झीलों और क्रीक सभी नदियों से रिवर बैथीमीटरी डाटा लिया गया था। भूमि स्थलाकृति, भूमि उपयोग, बुनियादी ढांचा, जनसंख्या आदि, MCGM द्वारा उपलब्ध कराये गए थे और GIS में थीमैटिक लेयर्स का उपयोग करके वार्ड स्तर पर बाढ़ के स्तर का सटीक अनुमान लगाने के लिए इसे डिसीजन सपोर्ट सिस्टम में जोड़ा गया था। बाढ़ के संपर्क में आने वाले तत्वों की भेद्यता और जोखिम की गणना करने के लिए एक वेब GIS आधारित डिसीजन सपोर्ट सिस्टम निर्मित किया गया है।
बाढ़ चेतावनी प्रणाली का औपचारिक रूप से शुभारंभ 12 जून 2020 को माननीय श्री उद्धवजी बालासाहेब ठाकरे, माननीय मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र सरकार और डॉ. हर्षवर्धन, माननीय केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान मंत्री, भारत सरकार द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा।