Latest News चीन की दादागीरी रोकने को एशिया में अपनी सेना भेजेगा अमेरिका

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Latest News चीन की एशिया में बढ़ती दादागीरी के खिलाफ अमेरिका ने यूरोप से अपनी सेना हटाकर एशिया में तैनात करने का फैसला किया है। अमेरिका यह कदम ऐसे समय उठा रहा है कि जब चीन ने भारत में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास तनावपूर्ण स्थिति पैदा कर दी है, तो दूसरी ओर वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपीन और साउथ चाइना सी में खतरा बना हुआ है।

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Latest News सांकेतिक तस्वीरनई दिल्ली
चीन की एशिया में बढ़ती दादागीरी के खिलाफ अमेरिका ने कड़ा रूख अख्तियार कर लिया है। अमेरिका ने यूरोप से अपनी सेना हटाकर एशिया में तैनात करने का फैसला किया है। इसकी शुरुआत वो जर्मनी से करने जा रहा है। माना जा रहा है कि अमेरिका जर्मनी में तैनात 34,500 अमेरिकी सैनिकों में से 9,500 सैनिकों को एशिया में तैनात करेगा। अमेरिका यह कदम ऐसे समय उठा रहा है कि जब चीन ने भारत में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास तनावपूर्ण स्थिति पैदा कर दी है, तो दूसरी ओर वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपीन और साउथ चाइना सी में खतरा बना हुआ है।

Latest News अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने चीन को भारत और दक्षिणपूर्व एशिया के लिए खतरा बताया है। उन्होंने कहा कि भारत, मलेशिया, इंडोनेशिया, और फिलीपीन जैसे एशियाई देशों को चीन से बढ़ते खतरे के मद्देनजर अमेरिका दुनिया भर में अपने सैनिकों की तैनाती की समीक्षा कर उन्हें इस तरह से तैनात कर रहा है कि वे जरुरत पड़ने पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (चीन की सेना) का मुकाबला कर सकें। पोम्पिओ ने जर्मन मार्शल फंड के वर्चुअल ब्रसेल्स फोरम 2020 में एक सवाल के जवाब में यह कहा।

अमेरिका का दावा, चीन ने 15 जून को ही बना लिया था भारतीय सैनिकों पर हमले का प्लानLatest News अमेरिका का दावा, चीन ने 15 जून को ही बना लिया था भारतीय सैनिकों पर हमले का प्लानअमेरिकी की खुफिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों पर हुए हमले के पीछे चीन के क्रूर जनरल झाओ जोंगकी का हाथ था। यह वही जनरल है जो चीनी राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग का बेहद करीबी है। इतना ही नहीं अमेरिका ने यह भी दावा किया है की इस हमले का प्लान 15 जून को ही तैयार कर लिया गया था।
तैनाती ऐसी हो कि पीएलए का मुकाबला कर सकें
पोम्पिओ ने कहा कि हम तय करेंगे कि हमारी तैनाती ऐसी हो कि पीएलए का मुकाबला किया जा सके। हमें लगता है कि यह हमारे समय की यह चुनौती है और हम सुनिश्चित करेंगे कि हमारे पास उससे निपटने के लिए सभी संसाधन उचित जगह पर उपलब्ध हों। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश पर सैनिकों की तैनाती की समीक्षा की जा रही है और इसी योजना के तहत अमेरिका, जर्मनी में अपने सैनिकों की संख्या करीब 52 हजार से घटाकर 25 हजार कर रहा है।Latest News

Latest News ‘कम्युनिस्ट पार्टी है खतरा’
पोम्पिओ ने कहा कि सैनिकों की तैनाती जमीनी स्थिति की वास्तविकता के आधार पर की जाएगी। उन्होंने कहा कि कुछ जगहों पर अमेरिकी संसाधन कम रहेंगे। कुछ अन्य जगह भी होंगे… मैंने अभी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से खतरे की बात कही है, इसलिए अब भारत को खतरा, वियतनाम को खतरा, मलेशिया, इंडोनेशिया को खतरा, दक्षिण चीन सागर की चुनौतियां हैं। अमेरिका ने खतरों को देखा है और समझा है कि साइबर, इंटेलिजेंस और मिलिट्री जैसे संसाधनों को कैसे बांटा जाए।

थिओडोर, निमित्ज ने किया अभ्यास

  • थिओडोर, निमित्ज ने किया अभ्यासLatest News अमेरिका के USS थिओडोर रूजवेल्ट और USS निमित्ज स्ट्राइक ग्रुप्स ने इंटरनैशनल वॉटर पर ऑपरेशन शुरू किया और करीब से दो कैरियर स्ट्राइक ग्रुप्स के ऑपरेट करने की क्षमता का प्रदर्शन किया। वहीं, एक और कैरियर स्ट्राइक ग्रुप USS रॉनल्ड रीगन फिलिपीन सी में तैनात था। पश्चिम फिलिपीन सी साउथ चाइना सी में आता है जिसे लेकर चीन और अमेरिका आमने-सामने हैं। फिलिपीन सी फिलिपीन के पूर्वी तट, ताइवान, जापान से लेकर मारियाना टापू में गुआम और कैरोलाइन टापू में पलाऊ तक फैला है।
  • चीन की अमेरिका को चेतावनीगौरतलब है कि चीन ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि जापान जैसे देशों में अपनी सैन्य तैनाती न करे। चीन ने यहां तक दावा किया है कि अगर अमेरिका इस दिशा में आगे बढ़ता है तो चीन भी हर जवाब के लिए तैयार रहेगा। दरअसल, हाल ही में जापान और अमेरिका ने साउथ चाइना सी में संयुक्त ड्रिल भी की है। हालांकि, जापान अमेरिका के ऐंटी-मिसाइल सिस्टम को तैनात करने से फिलहाल रोक चुका है।
  • ट्रंप के कार्यकाल में बढ़ी सक्रियताखास बात यह है कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में फ्रीडम ऑफ नैविगेशन के लिए सिर्फ 4 बार अमेरिका ने ऑपरेशन्स किए लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से 22 बार ऐसा किया जा चुका है। रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि दोनों देशों की सेनाओं को संवाद बढ़ाना चाहिए ताकि गलतफहमी से बचा जा सके। इस रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि सैन्य संबंध खराब होने से खतरानक घटना, विवाद या संकट की आशंका बढ़ सकती है।
  • जापान ने रोकी थी Aegis Ashore की तैनातीबता दें कि जापान ने कुछ दिन पहले ही अमेरिका के अरबों डॉलर के मिसाइल डिफेंस सिस्टम Aegis Ashore को नहीं लेने का फैसला किया था। रक्षा मंत्री तारो कोनो ने बताया था कि उसके डिजाइन को सही करने की जरूरत थी क्योंकि रॉकेट के मलबे से आसपास के लोगों को खतरा हो सकता था। यह काम काफी महंगा, बड़ा और गैरजरूरी समझकर Aegis का इस्तेमाल नहीं करने का फैसला किया गया। जापान के अकीता और यमागुची में तैनात किए जाने वाले Aegis की मदद से बैलिस्टिक मिसाइल्स पर नजर रखी जा सकती थी।

कहां तैनात हो सकती है अमेरिकी सेना
Latest News सूत्रों की मानें तो अमेरिका हिन्द महासागर स्थित सैन्य ठिकाने डियोगार्शिया पर पहली बार में 9500 सैनिकों को तैनात करेगा। इसके अलावा ताइवन भी अपने यहां सैना तैनाती के लिए जगह दे सकता है। बता दें कि अमेरिका के सैन्य ठिकाने जापान, दक्षिण कोरिया, डियोगार्शिया और फिलीपींस में है।Latest News 54 दिनों से लगातार चल रहा भोजन वितरण का कार्यक्रम, https://www.youtube.com/watch?v=fQw1PFWTfVE

साभार नवभारत टाइम्स

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