लाक डाउन के कारण सस्ते में बिक रहे आम
डा आर लाल गुप्ता लखीसराय
साल भर इन्तज़ार के बाद गर्मी के महीनों में फलने वाला फलों के राजा आम का भला किसका इंतज़ार नहीं होता।कच्चे आम जहां लू से बचाव के लिए महौषधी का काम करता है वहीं पके आम का नाम लेने से हीं जहां नाकों में इसकी खुशबू का अहसास होने लग जाता है वहीं इसके स्वाद को लेकर मुंह में पानी भर जाता है।वैसे प्रकृति प्रदत्त प्रत्येक मौसमी फल उस मौसम में होने वाली बिमारियों से निपटने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। जबकि आम कच्चे व पके हर स्थिति में काफी फायदेमंद है। वैसे तो आम का फ़सल कमोवेश बिहार में हर जगह होता है परन्तु उत्तरी बिहार के गंगा से सटे इलाकों में इसकी खेती सघन रुप से की जाती है। जिसके लिए वहां जलवायु भी उपयूक्त माना जाता है। वहीं उतरी बिहार से सटे मध्य बिहार के इलाके में भी वहुतायत रुप से आम के पैदावार होता है। इसी में शामिल है लखीसराय जिले का इलाका जहां इस बार आम की अच्छी फसल देखने को मिल रहा है। परन्तु लाक डाउन के कारण ट्रांसपोर्टिंग चार्ज महंगें होने से यहां से आम को बाहर यानि निकटवर्ती पटना व नालंदा जिले के बाजार में आम को भेजना महंगें पड़ रहें हैं। यही कारण है कि आम के खेती करने वाले किसानों को सस्ते दामों में आम को बेचने की मजबुरी है। कोनीपार के किसान सर्जुन महतो, परमेश्वर साव,टाल वंशीपुर के सुखदेव मंडल,बाकरचक के सच्चिदानंद सिंह सहित दर्जनों किसानों ने बताया कि लंगडा एवं दुधिया मालदा पच्चीस रुपए प्रति किलो एवं विभिन्न तरह के बीज्जु आम पंद्रह रुपए प्रति किलो बेचे जा रहे हैं।जो वास्तविक दाम से काफी सस्ता है। बताते चलें कि आम के मांजर में बेहतर फ़सल के लिए दो से तीन बार छिड़काव किया जाता है ताकि कीड़े मकोड़े मर सके। जिससे ज़्यादा से ज़्यादा मांजर टिके रहे और बेहतर पैदावार हो। किसानों ने बताया कि प्रति बृक्ष क़रीब चार से पांच सौ रुपए का खर्च आता है। ऐसे में आम हसरतें बेचे जाने से इसमें कमाई नहीं हो सकी।