मूलभूत सुविधाओं के लिए कराहता आदिवासी बाहुल्य गांव

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बासुकीनाथ से प्रियव्रत झा की रिपोर्ट

जनजातीय समुदाय के चतुर्मुखी विकास के सपनों को लेकर बने झारखंड राज्य में आदिवासी समाज ही बुनियादी सुविधाओं के लिए आंसू बहाने पर मजबूर है। जरमुंडी प्रखंड अंतर्गत राय किनारी पंचायत के आदिवासी बाहुल्य गांव सठियारी में सरकार की तमाम जनकल्याणकारी योजना  जहाॅ बेमानी साबित हो रही है वहीं केंद्र एवं राज्य संचालित विकास योजना से यह गांव कोसों दूर है। जानकारी के अनुसार जर्जर कच्चे मकान में रहने वाले जनजातीय समाज के 68 परिवार प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिलने से आक्रोशित है वही गांव में सड़क एवं नाला निर्माण नहीं होने के कारण ग्रामवासी नारकीय जीवन जीने के लिए विवश है। बताया गया कि सड़क नहीं होने का दर्द उस समय लोगों को माथे के बल देता है जब गांव में कोई बीमार पड़ जाए। ग्रामीणों ने बताया कि दूसरी तरफ नाला नहीं रहने के कारण घरों का गंदा पानी बीच सड़क पर बहता है और  इससे होने वाली जलजमाव की समस्या ग्रामीणों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बना हुआ है। इस आधारभूत समस्या के मुद्दे को लेकर मुखिया रामेश्वर मुर्मू का कहना है कि वर्ष 2011 के आर्थिक जनगणना की सूची से इन लोगों का नाम गायब रहने के कारण आवास आवंटन में कठिनाई हो रही है लेकिन गांव वाले मुखिया के राय से सहमत नहीं है और समस्याओं के मकड़जाल से निकलने के लिए आतुर दिख रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि हेमंत सरकार से उनकी उम्मीदें काफी है ऐसी स्थिति में झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुवाई वाले सोरेन सरकार में भी आदिवासी समुदाय सड़क, मकान एवं नाला की समस्या का दंश झेलता रहे तो फरिश्ता भी  विकास की मुख्यधारा में शामिल नहीं कर सकता है।

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