पथरगामा प्रखंड का आदिवासी बाहुल्य गांव बांसभिठा बदहाल
पथरगामा से शशी भगत की रिपोर्ट
पथरगामा प्रखंड मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर पथरगामा.तरडीहा मुख्य पथ स्थित लगभग 500 की आबादी वाला आदिवासी बहुल गांव बांसभिठा उर्फ जोजोडीह आज भी आदिम युग में ही जी रहा है।गांव का आंतरिक सड़क की स्थिति बरसात में कीचड़ भर जाने के चलते नारकीय हो जाती है।नाम मात्र की सरकारी सुविधा प्राप्त यह गांव चुनाव के वक्त विकास से संबंधित चुनावी वादों से भर जाता है परंतु वादा तेरा वादा बनकर आज तक एक भी वादा धरातल पर नहीं उतरा है। ग्रामीण बताते हैं कि बरसात के इन तीन महीना में ग्रामीण कष्टों से घिर जाते हैं नतिजतन कोई भी वाहन गांव में प्रवेश नहीं कर पाता है ऐसी स्थिती में मरीज को पहले खाट पर लादकर बहियार होते हुए सड़क पर लाया जाता है इसके बाद ही उसको इलाज के लिए अन्यत्र ले जाना संभव हो पाता है। हालांकि रविवार को ग्राम प्रधान मसूदन सोरेन अपने सहयोगी के साथ कर सेवा के माध्यम से सड़क पर से कीचड़ हटाया।इस गांव में बिजली की व्यवस्था बिल्कुल रामभरोसे है।इस गांव को आज भी ढिबरी युग में जीने वाला गांव कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा।ग्राम प्रधान मसूदन सोरेन, ताला बाबू सोरेन, अनिल सोरेन, बबलू सोरेन, जेम्स मुर्मू, उचित सोरेन, देवीलाल, अमीरचंद, ताला बेटी सोरेन आदि ने अपने गांव की सड़क को पक्की सड़क में बदलने की मांग की है।