हमें जल्दी ही गेहूं की ऐसी किस मिल जाएगी जिस की पैदावार गर्म मौसम से प्रभावित नहीं होगी। दुनिया की एक तिहाई आबादी की भोजन की जरूरतों को पूरा करने वाले अनाज, गेहूं की पैदावार और गुणवत्ता गर्म मौसम के कारण बुरी तरह से प्रभावित होती है। इस चुनौती से निपटने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक वैज्ञानिक डॉ. विजय गहलोत गेहूं की ऐसी किस्म विकसित करने में जुटे हैं जो गर्म मौसम में भी अच्छी पैदावार दे सके। इसके लिए वह अनुवांशिक रूप से संवर्धित गेहूं की ऐसी किस्म की संभावनाएं तलाश रहे हैं जो गर्म मौसम को सह सके लेकिन उसके डीएनए क्रम में कोई मूल बदलाव ना हो। पालमपुर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायो रिसोर्सेज टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक डॉ. विजय गर्मी सह सकने वाली गेहूं की किस्म में दाने आने के विभिन्न चरणों के दौरान डीएनए मिथाइलेशन की भूमिका का अध्ययन करेंगे। मिथाईलेशन प्रक्रिया एक जैविक प्रक्रिया है जिसमें मिथाइल समूहों को डीएनए के अणुओं के साथ जोड़ा जाता है। उन्होंने इसके लिए एपीजेनामिक मैपिंग प्रकिया अपनाने का प्रस्ताव किया है। यह प्राकृतिक रूप से होने वाले एपीजेनेटिक बदलाव को पहचानने में मदद करेगी। एपीजेनामिक जनरल में हाल में प्रकाशित उनके एक अध्ययन में यह बताया गया है कि किस तरह से गर्म मौसम में गेहूं के सी5 एमटेस जीन में बदलाव देखने को मिलता है। मिथाइलेशन प्रक्रिया के जरिए गेहूं के एक समान जीनों को परिवर्तित रूप में इस्तेमाल करने के उनके अध्ययन से गेहूं की ऐसी किस्म विकसित करने में मदद मिलेगी जो गर्म जलवायु में भी अच्छी पैदावार दे सकेगी। अधिक जानकारी के लिए डॉ . विजय गहलोत से उनके ई मेल पते ([email protected]) पर संपर्क करें।