Constipation कब्ज को कैसे हटाएं

0
anant soch

Constipation हरिहर नाथ त्रिवेदी

Constipation सबसे पहले तो हमें यह समझना होगा कि कब्ज कहते किसे हैं? हमलोग नित्य जा खाते हैं, उसका सारा अंश रक्त और असार अंश मल में परिणत होकर रोज निकल जाता है, यही स्वभाविक नियम है। जब ऐसा न होकर वही मल बहुत दिनों तक आँतों में रुका रह जाय, रोज निकल न जाय या कष्ट से निकलता हो अथवा बहुत वेग और चेष्टा करने पर थोड़ा निकलता हो तो उसे कब्ज अथवा कोष्ठबद्धता कहते हैं। अभ्यास की वजह से कोई-कोई मनुष्य नित्य एक बार पखाना जाते हैं, परन्तु उससे उन्हें शान्ति नहीं होती, दिन-भर कुछ-न-कुछ अस्वस्थता मालूम होती है। इसके अलावा कोई-कोई एक दिन का अन्तर देकर, कोई-कोई 2 या 3 दिन के अन्तर से पाखना जाते हैं, फिर भी उन्हें किसी तरह की तकलीफ नहीं मालूम होती।
अब हमें यह समझना चाहिए कि किस-किस कारण से कब्ज होता है-

  1. नित्य अधिक परिमाण में गरिष्ठ चीजें खाने पर और जिनमें जलीय अंश कम है ऐसे सखे द्रव्य- जैसे मोटी रोटी इत्यादि रोज खने पर मल सूख जाता है और कष्ट से निकलता है- इससे कब्ज होता है।
  2. गरम मसालेवाली चीजों में पानी का अंश कम रहता है, अतएव ऐसी चीजें और नित्य मांस खाने पर कब्ज होता है।
  3. उपवास करने अथवा किसी एक ही तरह की चीज रोज खाने से और केवल गायका दूध पीकर रहने से कब्ज होता है। Constipation
  4. पाखाना लगने पर ठीक उसी समय न जाकर असमय में जाया जाय, तो कुछ दिन बाद कब्ज हो जाता है ;बवासीर के रोगी तकलीफ से डरके प्रायः ऐसा किया करते हैंद्ध।
  5. बहुत दिनों तक पतले दस्त आने के बाद अथवा जुलाब लेने का अभ्यास होने पर कब्ज होता है।
  6. रक्ताल्पता (एनीमिया), हरित्पाण्डु-रोग ;क्लोरोसिेद्ध, पक्षाघात आदि बीमारियों में आँतों की पेशी कमजोर पड़ जाती है, उससे तथा बहुत ज्यादा मानसिक परिश्रम करने और शारीरिक परिश्रम न करने पर, बहुत पसीना और बहुमूत्र आदि रोग में ज्यादा मात्रा में पेशाब होने के कारण, फेफड़े की किसी बीमारी में बहुत ज्यादा श्लेष्मा निकलने से तथा मस्तिष्क और मेरुमज्जा की बीमारी इत्यादि में कब्ज होता है। Constipation
  7. आंतो से बहुत थोड़ा पाचक रस निकलने और पित्त-कोष से बहुत थोड़ा पित्त निकलने पर कब्ज होता है।
  8. अफीम खाने पर आंतो की पाक्षाघातिक अवस्था हो जाती है, उससे कब्ज होता है।
  9. बाहर के किसी यन्त्र, में ट्यूमर (अबुर्द्ध) इत्यादि हो जाता है तो आंतो पर दबाव, जरायु की विवृद्धि या जरायु का अपनी जगह से हटना और आंतों के भीतर पथरी (स्टोन), फलकी बुठली , बीज आदि अड़ जाने पर कब्ज होता है।
    मुख्यतः टाइफाॅयड ज्वर, आरक्त ज्वर, खसड़ा, चेचक, इत्यादि किसी भी नई बीमारी में कब्ज रहे, तो रोगी के लिये अच्छा है, इसके लिये जुलाब आदि किसी प्रकार की उत्तेजक दवाका भीतरी प्रयोग करना एकदम मना है, उससे विशेष अनिष्ट की सम्भावन है। विशेष आवश्यक हो, तो मलद्वार में ग्लिसरिन-सपाजिटरी का प्रयोग करें। चेचक की बीमारी में और टाइफाॅयड में जुलाब देने के कारण बहुत से रोगियों की मृत्यु हुई है।
    Constipation मुख्य लक्षण
    आंतों के भीतर बहुत दिनों तक मल अड़ा रहने से सड़ना आरम्भ हो जाता है, तो एक तरहा का विषैला पदार्थ उत्पन्न होकर खून में मिल जाता है और उससे निम्नलिखित लक्षण प्रकट होत हैं- Constipation
    सिर-दर्द, आंखों से ऐसा दिखाई देना मानो सामने कुछ उड़ रहा है, पाचन-शक्ति का नाश, अरुचि, भूख न लगना, मुंह बेस्वाद, जीभ मैली, पेट तना, कलेजे में धड़कन , चिड़चिड़ा मिजाजा, रक्तहीनता, नींद न आना, ज्वर (इसको फीकैल-फीवर कहते हैं, यह ज्वर प्रायः 100 डिग्री तक होता है और कोठा साफ हो जाने पर भी कुछ दिनों तक बना रहता है) इत्यादि। इसके अलावा मल बहुत दिनों तक आंतों में अड़े रहने पर –
    आंतों की हाइपरट्राॅफी (आंत की पेशी की विवृद्धि), डाइलेटेशन (आंत के भीतर का आयतन बढ़ जाना) और सूखा कड़ा मल जमा रहता है, तो आंतों का प्रदाह, आंतों का घाव और बहुधा आंतो में छेद हो जाता है।Constipation
    आंतों में मल अड़ा रहने से बहुधा शिराओं पर दबाव पड़ता है, दबाव पड़ने पर-
    हाइपोगैस्ट्रिक वेन पर दबाव पड़ने पर – बवासीर होता है।
    प्युविक-वेन पर दबाव पड़ने पर-वीर्यक्षय होता है।
    इलियक वेन पर दबाव पड़ने पर-पैर का तलवा फूलता है।
    सेक्रैल प्लेक्सस पर दबाव पड़ने पर- स्नायविक दर्द और सायटिका हो जाता है।
    चिकित्सा Constipation
    कब्ज की तकलीफ से छुटकारा पाने के लिये बहुत से अनजान मनुष्य प्रायः जुलाब लिया करते हैं, उससे पहले तो सामयिक फायदा हो जाता है, पर अन्त में कुछ भी फायदा नहीं होता, रोगी क्रमशःजुलाब की मात्रा और परिमाण बढ़ाता जाता है, पर उससे फायदे के बदले हानि ही ज्यादा होती है। जिस दिन जुलाब लिया जाता है, उस दिन किसी तरह 2-4 बाद दस्त हो जाता है, पर दूसरे दिन से और भी ज्यादा कब्ज के लक्षण प्रकट होने लगते हैं, इसलिये यह अभ्यास एकदम त्याद देना चाहिये।
    Constipation इस बीमारी में 1. आहार की सुव्यवस्था, 2. व्यायाम, 3. औषध सेवन इन तीनों विषयों पर अगर अच्छी तरह लक्ष्य रखा जाय, तो बहुत-कुछ फायदे की आशा की जा सकती है।
    आहार- सवेरे भात, तीसरे पहर फल, रातम में चक्की पिसा आटा। भात खूब सिझाकर और नरम बनाकर अच्छी तरह चाबा-चबा कर खाना चाहिये। फल-ताजे और पके प्रायः सभी फज्ञयदा करते हैं। पका पपीता, मर्तवान केला, पका आम, जामुन, बेल, अंगूर, नाशपाती, सेव, महताबी नींबू और संतरे, खजूर, पके अमरुद भरपूर इच्छापूर्ण खाये जा सकते हैं। इनमें पके अमरूद सबसे ज्यादा दस्तावर हैं, पर अमरूद खाने के समय उसके बीज न चबाकर सबित निगल जाना चाहिये। बीज चबाकर खाने से पेट में दर्द हो सकता है, क्योंकि वह पाकस्थली और आंतों की श्लैष्मिक झिल्लियों को उपदाहित करता है। बेल, अंगूर और खजूर भी विरेचक हैं। अगर रोगी की वायु की धातु हो, तो अकसर बेल सहन नहीं होता, अगर सहन हो, तो खाना चाहिये। सब्जियों में साग-सब्जी उपकारी और विरेचक हैं। इसलिये बथुआ, पालक, हिंचे, कलमी, परवल के पत्ते आदि रोज एक न एक साग खाना चाहिये। केले का गामा, केलेका फूल, गूलर, कच्चू और ओल भी फायदा करते हैं। मूंग की दाल आदि खाना मना नहीं है। मछली, मांस नुकसान करते हैं, विशेष इच्छा हो तो मछली केवल सप्ताह में एक दिन खानी चाहिये। गरम मसालेदार तरकारी और लहसुन खाना मना है, सिझाया हुआ प्याज फायदा करता है। तीसरे पहर रोटी के साथ शहद या गुड़ खाना चाहिए। रोज सवेरे और रात में सोने के पहले अन्दाजन एक पाव ठण्डा पानी, भाजन के प्रायः 1 घण्टा पहले और 2 घण्टे बाद आधा गिलास कुनकुना पानी नियमित रूप से पीना चाहिये, इससे पाचन में सहायता पहुंचेगी और कब्ज दूर होगा।
    जिन्हें बहुत ज्यादा कब्ज रहता है, जिकी अकसर जुलाब लेना पड़ता है दवाओं से स्थायी फायदा नहीं होता वे बड़ी हर्रें, सोंठ, सनायकी पत्त् और सौंफ ये कई चीजें अलग-अलग कूटकर कपड़-छन करके समान वजन में मिलाकर एक शीशी में भर रखें और नित्य भोजन के बाद ही आधा भरीकी मात्रा में थोड़े पानी के साथ सेवन करें।
    छिलका उतारा तिल 2 भरी, माखन 2 भरी, ताल-मिश्री 2 भरी एक साथ पीसकर रोज सेवेरे खाने से कोठा साफ हो सकता है। इससे पेट ठण्डा रहता है और पौष्टिक भी है।
    गुलाब की सूखी कली- 2 तोला, तालमिश्री- 4 तोला एक साथ अच्छी तरह पीसकर एक पाव गरम दूध के साथ पीने से दो एक साफ दस्त हो जाते हैं। यही यूनानी गुलकन्दका जुलाब है।
    कब्ज की बीमारी में एक तौलिया या गमछा ठण्डे पानी में भिंगोकर आधासे एक घण्टेतक रोज 1 बार पेट पर रखें और जब सुविधा हो ठण्डे पानी से पेट धो डाले।http://anantsoch.com, https://www.youtube.com/watch?v=KAUqkWYuaMo

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *